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Jun 9, 2013

Old gold

This is one of my favorite hindi poems. It is by Ramdhari Singh 'Dinkar'. It talks about being brave in the face of adversity.

सच है, विपत्ति जब आती है,
कायर को ही दहलाती है,
सूरमा नही विचलित होते,
क्षण एक नहीं धीरज खोते,

विघ्नों को गले लगाते हैं,
काँटों में राह बनाते हैं
मुँह से न कभी उफ़ कहते हैं,
संकट का चरण न गहते हैं,

जो आ पड़ता सब सहते हैं,
उद्योग-निरत नित रहते हैं,
शूलों का मूल नसाते हैं,
बढ़ खुद विपत्ति पर छाते हैं।

है कौन विघ्न ऐसा जग में,
टिक सके आदमी के मग में?
खम ठोक ठेलता है जब नर,
पर्वत के जाते पाँव उखड़,
मानव जब ज़ोर लगाता है,
पत्थर पानी बन जाता है।

गुण बड़े एक से एक प्रखर,
है छिपे मानवों के भीतर,
मेंहदी में जैसे लाली हो,
वर्तिका-बीच उजियाली हो,
बत्ती जो नही जलाता है,
रोशनी नहीं वह पाता है।

वीर – रामधारी सिंह दिनकर

4 comments:

  1. read this one ?

    http://www.prayogshala.com/poems/bachhan-yatra-aur-yatri

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  2. No, not read this before. thanks for sharing. It was very good.

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  3. <3

    I understood about 10 lines of those. I'm so proud! :D

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    1. That's okay, we'll make sure to get you back into our hindi reading fold when you're here!

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